सोने के नैनोकण बायोसेंसर के क्षेत्र में क्रांतिकारी खोज का आधार बन सकते हैं
नई दिल्ली, 12 सितंबर : वैज्ञानिकों ने सोने के नैनोकणों (Gold Nanoparticles) के एकत्रीकरण (Clustering) को नियंत्रित करने का नया तरीका खोजा है, जिससे भविष्य में स्मार्ट बायोसेंसर, बेहतर नैदानिक उपकरण और प्रभावी दवा वितरण प्रणालियाँ विकसित की जा सकेंगी। यह अध्ययन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अधीनस्थ एसएन बोस राष्ट्रीय आधारभूत विज्ञान केंद्र में प्रोफेसर माणिक प्रधान की टीम ने किया है।
✔️क्या हैं सोने के नैनोकण?
सोने के नैनोकण बेहद सूक्ष्म कण होते हैं जो प्रकाश के साथ अनोखे ढंग से प्रतिक्रिया करते हैं। इनके रंग और प्रकाशीय गुण इस बात पर निर्भर करते हैं कि वे अकेले हैं या समूह में जुड़े हैं। जब नैनोकण एकत्र होते हैं, तो उनकी प्रकाशिकी गुण बदल जाती है, जिसका उपयोग बायोसेंसर, बायोइमेजिंग और दवा वितरण में किया जाता है। लेकिन अनियंत्रित एकत्रीकरण से इन प्रणालियों की विश्वसनीयता प्रभावित हो जाती है।
✔️नई खोज का तरीका
प्रोफेसर माणिक प्रधान की टीम ने दो अणुओं पर ध्यान दिया:
✅1. ग्वानिडीन हाइड्रोक्लोराइड (GDNHCl) – एक लवण जो प्रोटीन तोड़ने में प्रयोग होता है।
✅2. एल-ट्रिप्टोफैन (L-TRP) – एक आम अमीनो एसिड जो नींद, विश्राम और प्रोटीन निर्माण से जुड़ा होता है।
जब सोने के नैनोकणों को सिर्फ ग्वानिडीन हाइड्रोक्लोराइड के साथ मिलाया गया, तो वे घने समूह (Dense Clusters) में जुड़ गए। लेकिन एल-ट्रिप्टोफैन मिलाने पर नैनोकणों ने एक खुला, शाखित नेटवर्क (Loose Branched Network) बनाया। इस प्रक्रिया को शोधकर्ताओं ने “असंतुष्ट एकत्रीकरण” नाम दिया। इसका मतलब यह हुआ कि नैनोकण समूहित होना चाहते थे, लेकिन एल-ट्रिप्टोफैन ने इस प्रक्रिया को संतुलित रूप से रोका।
👉कैसे किया अध्ययन?
इस अध्ययन में टीम ने एवेनसेंट वेव कैविटी रिंगडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (EW-CRDS) नामक अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया। इस तकनीक से सतह पर होने वाली अति-सूक्ष्म प्रक्रियाओं को बेहद संवेदनशील तरीके से मापा जा सकता है। अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि एल-ट्रिप्टोफैन ग्वानिडिनियम आयनों को स्थिर करके नैनोकणों के आपसी आकर्षण को कम कर देता है। परिणामस्वरूप, नैनोकण धीरे-धीरे एक नियंत्रित और खुली संरचना में बदलते हैं।
👉महत्वपूर्ण प्रभाव
इस शोध के जरिये नैनोविज्ञान के क्षेत्र में कई नए प्रश्नों के उत्तर सामने आए हैं। साथ ही यह बायोसेंसर और दवा वितरण प्रणालियों के निर्माण के लिए नए रास्ते खोलता है। इससे भविष्य में ऐसे बायोसेंसर विकसित होंगे, जो अधिक संवेदनशील, विश्वसनीय और सटीक तरीके से काम करेंगे।
🫵प्रकाशन और आगे की राह
यह अनुसंधान जर्नल Analytical Chemistry में प्रकाशित हुआ है और यह साबित करता है कि कैसे विज्ञान की नयी तकनीकें पदार्थ और प्रकाश के बीच के जटिल संबंधों को समझने में मदद कर सकती हैं। वैज्ञानिकों का लक्ष्य अब इस खोज का उपयोग कर ऐसे उपकरण तैयार करना है, जो चिकित्सा क्षेत्र में क्रांति ला सकें।